मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। इन की कृपा से ही व्यक्ति की अन्न, वस्त्र और धन की प्राप्ति होती है। वहीं प्रत्येक मनुष्य की कामना रहती है कि उसके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहे लेकिन कहा जाता है। माँ लक्ष्मी का एक स्थान पर ठहना मुश्किल नहीं है। लाल किताब में कुछ ऐसे उपाय बताएं गए है, जिन्हे आप सुबह उठकर करते है, तो माँ लक्ष्मी की कृपा बानी रहती है। इस लेख में जानेंगे के क्या उपाय है।
सोना और केसर का उपाय
अगर आप अपने घर में लक्ष्मी जी का वास चाहते है, तो सोना और केसर को दूर रखें। ऐसा करने से लक्ष्मी जी कृपा बनी रहती है।
शनिवार को पीपल पर दिया
शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं। साथ ही अपने मन ही मन में माता लक्ष्मी का 21 बार ध्यान करके उस दीपक के सामने हाथ जोड़कर चले जाना चाहिए।
गाय को रोटी और गुड़
पांच किलों आटा और सवा किलो गुड़ खरीदें। इसकी रोटी बना लें। इन रोटी को गुरुवार को शाम को खिलाएं। तीन गुरुवार तक नियमित रूप से करना चाहिए।
कुत्ते को खाना
शुक्रवार और शनिवार को रोटी पर भी लगाकर कुत्ते को खिलाएं, इससे धन संबंधित समस्याओं से निजात मिलती है। साथ ही आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। साथ ही आपको पशुओं के प्रति अपना व्यवहार नरम रखना चाहिए, जिससे कि आपके नवग्रह शांत रहें।
कन्याओं में बांटे रुमाल
नवरात्री में नौ कन्याओं को हरे रंग का रुमाल बांटे। ऐसा करने से माँ दर्जा प्रसन्न होती है। साथ ही 21 शुक्रवार को लगातार पांच कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें।
धन कष्ट दूर करने के लिए
शुक्रवार को खुद को और घर को साफ-सुथरा रखें, उपवास भी करें। साथ ही घर में खुशबु के लिए इत्र या सेंट का प्रयोग करें। इसके साथ माँ लक्ष्मी जी की पूजा करे। लक्ष्मी मंदिर जाकर 11 कमल के फूल अर्पित करें और नौ बत्तियों वाला घी का दीपक जलाकर पूजा अर्चना करें। साथ ही सफेद वस्त्र का दान करें और दो मोती बहते जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आपके धन संबंधित हर कष्ट दूर होंगे और समय पर सभी कार्य पूरे होंगे।
कारोबार में होगी वृद्धि
अगर कारोबार में वृद्धि हो रही है, तो शुक्ल पक्ष में शुक्रवार के दिन कार्यस्थल, फैक्ट्री, दुकान, कारोबार आदि जगहों के दरवाजे के दोनों तरफ थोड़ा सा गेहूं का आटा रख दें और ध्यान रहे कि ऐसा करते समय कोई आपको देखे ना। ऐसा करने से आपका कारोबार में वृद्धि होगी और लक्ष्मी माँ कृपा होगी।
करियर में तरक्की
करियर में अच्छी खबर नहीं मिल रहा है या फिर नौकरी में तरक्की नहीं हो रही है, तो शुक्रवार के दिन एक स्टील का ताला लाएं लेकिन ध्यान रखें कि खरीदते समय या बाद में उसे खोलकर चेक ना करें कि यह सही या खराब। शुक्रवार की रात उसको अपने सोने के कमरे में रख दें और फिर शनिवार को उसे किसी धार्मिक स्थान पर रख दें। जब कोई उसे खोलेगा तो आपकी किस्मत का ताला भी खुल जाएगा।
जौ का दान
अगर आपको धन की सबसे बड़ी समस्याएं आ रही है, तो रात में अपने पलंग के नीचे सिरहाने की ओर किसी पात्र में जौं भरकर रखें। सुबह उठकर जौं किसी पशु को खिला दें या किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। घर के सभी सदस्य रसोई में भोजन करें।
ये भी पढ़े: गुप्त धन प्राप्ति के उपाय, धन मिलने के संकेत, पूरी जानकारी
खाना परोसने से पहले एक हिस्सा कौए, दूसरा हिस्सा कुत्ते और तीसरा हिस्सा के गाय के लिए निकालें। प्रत्येक शनिवार को रोटी पर घी लगाकर कुत्ते के खिलाएं इससे धन संबंधित समस्याओं से निजात मिलती है।
दहलीज का पूजन करें
भगवान की पूजन के बाद अपने दरवाजे के दहलीज के पूजन करें। दहलीज के दोनों तरफ स्वास्तिक का चिह्न बनाकर उसकी पूजा करें और उस पर चावलों की ढेरी बनाएं। इन सुपारियों पर कलावा लपेटकर दोनों ओर के चावलों की ढेरी पर रख दें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा होती है और धन लाभ होता है।
लाल किताब से संबंधित प्रश्न
यह ज्योतिषीय उपायों के साथ ज्योतिषीय हस्तरेखा शास्त्र पर एक ग्रंथ है। हस्तरेखा शास्त्र पर अन्य पुस्तकों में हम ग्रहों के नाम के बाद रेखाओं, पर्वतों और चिह्नों आदि के नाम पाते हैं और यहीं पर उनका ज्योतिष समाप्त हो जाता है। ग्रहों के नाम के बाद पर्वतों आदि के नाम रखने के बाद लाल किताब बहुत आगे बढ़ जाती है।
हर सुबह उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं और “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। यह उपाय धन और सफलता को आकर्षित करने के लिए उपयोगी है। 14. घी का दीपक जलाएं और भगवान कुबेर से प्रार्थना करें, और धन समृद्धि के लिए अपनी सच्ची इच्छा व्यक्त करें।
लाल किताब अनुसार किसी भी ग्रह-नक्षत्र का असर व्यक्ति के शरीर पर पड़ता है तो उस अनुसार उसके अच्छे या बुरे लक्षण शरीर पर नजर आते हैं। उक्त ग्रह के खराब या अच्छे होने के कारण व्यक्ति के शारीरिक ही नहीं, आसपास के वातावरण और वास्तु में भी परिवर्तन हो जाता है।
लाल किताब में दो प्रकार से कुंडली बनाई जाती है। पहले प्रकार में हाथ की रेखा, पर्वत, भाव, राशि का निरीक्षण और निशानों को जांच परखकर कुंडली बनाते हैं दूसरे प्रकार में प्रचलित ज्योतिष शास्त्र की पद्धति द्वारा बनी कुंडली को परिवर्तित करके नई कुंडली बनाई जाती है।