भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद है। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी जी की मूर्ति विराजमान है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। तिरुपति बालाजी के मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य भी हैं। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद तिरुपति बालाजी के दरबार में बड़े से बड़े अमीर से लेकर गरीब तक सभी आते हैं। भारत के सबसे अमीर मंदिरों में भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर का नाम आता है। यहां तिरुमाला की पहाडिय़ों में हर साल लाखों की संख्या में लोग भगवान का आशीर्वाद लेने आते हैं। भगवान तिरुपति बालाजी तिरुमला में अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं। वहीं कोई भक्त यहां सच्चे दिल और श्रद्धा से कुछ मांगता है, तो भगवान विष्णु उसकी हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। तिरुपति बालाजी के दर्शन करने के कुछ नियम है।
- नियम के अनुसार दर्शन करने से पहले आपको कपिल तीर्थ पर स्नान करके , कपिलेश्वर के दर्शन करने होते हैं। इसके बाद ही वेंकटाचल पर्वत पर जाकर बालाजी के दर्शन करने चाहिए।
- इसके बाद देवी पद्मावती के दर्शन करें। यहां यह भी ध्यान में रख लें कि पद्मावती देवी का मंदिर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की पत्नी पद्मावती लक्ष्मी जी को समर्पित है। ऐसी मान्यता है की जब तक भक्त इस मंदिर के दर्शन नहीं करते, तब तक भक्ति की तिरुमाला की यात्रा पूरी नहीं होती।
- आप अपना मोबाइल श्री तिरुपति बालाजी मंदिर के बाहरी परिसर तक ही ले जा सकते हैं, इसका कारण यह है कि सुरक्षा कारणों से मंदिर के अंदर मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है। आप यहां बाहर ही अपना मोबाइल जमा कर सकते हैं।
- इसके अलावा टिकट लेते समय और सुबह दर्शन के लिए कतार में खड़े होने के दौरान भी ड्रेस कोड है। इसके तहत श्रद्धालु जींस, टी-शर्ट, शॉर्ट्स और स्कर्ट पहनकर यहां नहीं आ सकते। ऐसे में उन्हें दर्शन के लिए पारंपरिक कपड़े पहनकर ही मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है।
- पुरुषों को कुर्ता-पायजामा पहनने के विकल्प के अलावा जो ड्रेस कोड रखा गया है, वह मंदिर में धोती-कुर्ता, लुंगी और कंडुआ है। जबकि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने के लिए साड़ी या सलवार-कमीज पहनना अनिवार्य है।
मंदिर में दर्शन के दौरान पालन किए जाने वाले
- पवित्र और केंद्रित वातावरण बनाए रखने के लिए मंदिर परिसर में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी सख्त वर्जित है।
- भक्तों को बिना किसी विकर्षण के आध्यात्मिक अनुभव में डूबने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- भक्तों को मंदिर में बेल्ट, बैग और जूते सहित चमड़े की कोई भी वस्तु ले जाने से बचना चाहिए।
- यह प्रथा मंदिर की परंपराओं और मान्यताओं का सम्मान करती है, जो पवित्र स्थानों में चमड़े को अशुद्ध मानती हैं।
- परेशानी मुक्त अनुभव के लिए हमारे तिरुपति यात्रा पैकेजों का अन्वेषण करें।
- मंदिर परिसर में मांसाहारी भोजन की अनुमति नहीं है।
- शाकाहारी भोजन का पालन हिंदू धर्म में अहिंसा और शुद्धता के सिद्धांत के अनुरूप है, जिससे आध्यात्मिक रूप से सामंजस्यपूर्ण वातावरण सुनिश्चित होता है।
- मंदिर क्षेत्र में तथा इसके आसपास शराब पीने पर सख्त प्रतिबंध है।
- यह निषेध मंदिर की आध्यात्मिक शुद्धता और मर्यादा को बनाए रखने तथा सभी भक्तों के लिए सम्मानजनक और गंभीर माहौल बनाने के लिए लगाया गया है।
- मंदिर क्षेत्र में धूम्रपान की अनुमति नहीं है।
- यह नियम मंदिर के वातावरण की स्वच्छता और पवित्रता को बनाए रखने में मदद करता है, तथा भक्ति के लिए शांत और शुद्ध वातावरण सुनिश्चित करता है।
- भक्तों से अपेक्षा की जाती है कि वे मंदिर परिसर में कूड़ा-कचरा फैलाने से परहेज करके स्वच्छता बनाए रखें।
- पवित्र स्थल और उसके प्राकृतिक परिवेश के प्रति सम्मान दर्शाने के लिए कचरे का उचित निपटान आवश्यक है।
- हमारे तिरुपति पैकेज के साथ जिम्मेदार यात्रा के बारे में अधिक जानें।
- इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग, विशेषकर मंदिर के पवित्र क्षेत्रों में, न्यूनतम किया जाना चाहिए।
- यह अभ्यास विकर्षणों को कम करने में मदद करता है, जिससे भक्तों को अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर ध्यान केंद्रित करने और शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने में मदद मिलती है।
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- मंदिर के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए, आगंतुकों को प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग न करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- यह पर्यावरण-अनुकूल पहल मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता के संरक्षण का समर्थन करती है और जिम्मेदार पर्यावरणीय प्रथाओं को बढ़ावा देती है।
- श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे कतार प्रणाली का पूरी लगन से पालन करें तथा साथी तीर्थयात्रियों के प्रति धैर्य और सम्मान प्रदर्शित करें।
- व्यवस्था बनाए रखने से सुचारू और सम्मानजनक दर्शन अनुभव सुनिश्चित होता है।
- मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले भक्तों को अपने जूते उतारने पड़ते हैं।
- यह प्रथा मंदिर परिसर की पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रखती है तथा देवता के समक्ष विनम्रता का प्रतीक है।
- मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार की हिंसा या कठोरता से बचना तथा शांतिपूर्ण और सम्मानजनक माहौल बनाए रखना आवश्यक है।
तिरुपति बालाजी से संबंधित प्रश्न
बालाजी का दर्शन करने के लिए आप तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं और https://ttdevasthanams.ap.gov.in से बालाजी दर्शन के लिए टिकट बुक कर सकते हैं।
तिरुमाला में मांसाहारी भोजन न करें, शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करें और धूम्रपान न करें। मंदिर परिसर के अंदर हेलमेट, टोपी, पगड़ी और हैट जैसे कोई भी सिर की सुरक्षा करने वाले कपड़े न पहनें। मंदिर परिसर में हिंसा या कठोरता का कोई भी कार्य न करें।
तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन के लिए स्पेशल टिकट 300 रुपये में मिलता है, जिसमें एक लड्डू मुफ्त है।
भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान करने की मान्यता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में बाल का दान करना महादान माना जाता है।
गणमान्य व्यक्ति और वीआईपी: उच्च पदस्थ अधिकारी, मशहूर हस्तियाँ और अन्य उल्लेखनीय व्यक्ति अक्सर वीआईपी दर्शन प्राप्त करते हैं।